Anju Dixit

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मंजुला सौभाग्य या दुर्भाग्य भाग (1)



राजेश प्रधान, आज जैसे ही घर में घुसे फूलों नहीं समा रहे थे; खुशी उनके चेहरे पर ही छलक रही थी ।
तभी उनकी पत्नी उनके बैठक में बैठने के पश्चात हाथ में जल का लोटा लेकर आयीं और उनकी तरफ बढ़ा दिया ।
और बड़ी प्रसन्नता से उन्होंने जल्द से अपने हाथ मुँह  को धोया और बोले राजेश्वरी आज मैं ! बहुत खुश हूं,
हाँ! वो यो आपके चेहरे से ही झलक रहा है।
राजेश पाठक गाँव के 20 साल से प्रधान पद पर आसीन हैं आसपास में अच्छी जान पहचान है।
कुल मिलाकर एक सम्मानित व्यक्ति, पाँच बच्चों के पिता तीन पुत्रियां दो पुत्र, बेटियां बेटों से बड़ी हैं ।
और दो का विवाह कर चुके वो अपनी ससुराल में सुख से रह रहीं हैं।
अब मंजुला यानि तीसरी बेटी के विवाह की तैयारी है, तो आज उसी को लड़का देखकर आए हैं, और अपनी पत्नी राजेश्वरी को बता रहे कि!किसी भी चीज की कमी नहीं रज्जो, वो अपनी पत्नी को इसी नाम से बुलाते हैं।
टेक्टर, ट्यूवेल, मोटरसाइकिल, मोटर कार, शानदार मकान,
उतसाहित होकर और! कितना बड़ा आम शीशम का बाग, पूरे  70 बीघे का, लड़का भी सुन्दर  बीएससी, किए हुए,
लड़के के हिस्से में पूरे  चालीस बीघे जमीन आएगी।
पढ़ा लिखा है  नौकरी भी लग सकती है,
और सबसे अच्छी बात कोई माँग जाँच नहीं है-;कह रहे दुल्हन ही दहेज है हमे तो, क्या इस जमाने मे भी होते ऐसे लोग!
क्यों न होते जी फिर सोच रहे होंगे कुछ तो देंगे ही  ।
हाँ वो तो है पर! एक बात समझ न आयी विवाह अगले दो महीने में करना चाहते हैं।
क्यों???
इतनी जल्दी क्या है??
कह रहे थे  उसके बाद पूजा की शादी पड़ रही पूरे एक साल , फिर लड़के के बाद दो बच्चे और भी हैं एक बेटा और बेटी विवाह को।
अच्छा कहकर राजेश्वरी तो चुप हो गयीं, परन्तु पास बैठा   बड़ा बेटा राजीव  जो अभी दशमी पास किया  था बोल पड़ाअरे! इतनी जल्दबाजी में पापा निर्णय न लो दो चार लोगों को और दिखा लो ,शायद कोई कमी हो इसलिए जल्दबाजी कर रहे।
सुनते ही मंजुला के पिता भड़क उठे दो -दो विवाह कर चुके अब तुम हमें ज्ञान दोगे कल के लड़के ।
राजेश्वरी जी , ने बात सम्भाली चुप रहो तुम जाओ बाहर बैठो जाकर ।
राजीव जो बड़ा बेटा था मुँह बनाता बाहर आ गया साफ लग रहा वो अपने पिता के इस निर्णय से संतुष्ट नहीं।
तभी राजेश्वरी जी  पति को वोली अब बच्चे बड़े हो गए काहे चिल्लाते हो आप भी प्यार से कह देते।
अरे! इतने बड़े हो गए यह चार दिन के लड़के हमारी बात में दखल देंगे , पूरी पंचायत में कोई हमारे सामने कुछ कहता नही, जो कह दें मान लेते सब ।
हाँ हाँ ठीक अब छोड़ो भी ।
यह लो लड़के की फोटू, मंजुला को कह देना बाबूजी इस लड़के कर साथ उसका विवाह तय करने जा रहे  इसी सोमवार पूर्णिमा को।
राजेश्वरी को अन्दर आते देख दरवाजे की ओट में खड़ी मंजुला जल्दी से घर के अन्दर चली गयी ।

माँ ने हँसकर फोटू उसकी तरफ बड़ा दिया एक नजर देखकर  शरमाकर कमरे में दौड़ गयी।
उसकी मुस्कुराहट से माँ समझ गयी, तभी पास खड़ा छोटा बेटा चिढ़ाते हुए बोला दीदी को लड़का पसन्द है माँ।
यह आवाज बाहर राजेश प्रधान के कानों में पड़ी तो गर्व से कह उठे क्यों न होगा आखिर हमने देखा है, ,और सब कुछ दोनों बड़ी बेटियों से ज्यादा ही है ,
आखिर सबसे छोटी बेटी है कोई कमी न रहने देंगे, मन ही मन सोचकर
प्रसन्न हो रहे थे, राजेश प्रधान।


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2 Comments

Miss Lipsa

06-Sep-2021 06:49 PM

Wah

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🤫

06-Sep-2021 02:29 PM

वाह नई कहानी की शुरुआत...इंटरेस्टिंग

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